मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय उद्यान एवं टाइगर रिजर्व
✏️वर्तमान में मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय उद्यानों की संख्या 12 ( 11 निर्मित + 1 प्रस्तावित ) हैं ।
✏️इनमे से 6 राष्ट्रीय उद्यान - कान्हा किसली , बांधवगढ़ , पन्ना , पेंच , सतपुड़ा , संजय गांधी उद्यान , तथा एक वन्य जीव अभ्यारणय रातापानी अभ्यारण , प्रोजेक्ट टाइगर के अन्तर्गत शामिल हैं । विश्व में प्रोजेक्ट टाइगर के जनक गेनी मेनफोर्ड तथा भारत में प्रोजेक्ट टाइगर के जनक कैलाश सांखला ( टाइगर मेन ऑफ इंडिया ) है।
1 - कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान ( मण्डला ) -
- इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1933 में को गई तथा
1955 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया ।
- इसे सर्वप्रथम 1973-74 में प्रोजेक्ट टाइगर के अन्तर्गत
शामिल किया गया ।
- यह मंडला तथा बालाघाट में फैला हुआ है ।
इसका क्षेत्रफल 940 वर्ग किमी है ।
- होलो घाटी एवं बंजर घाटी इसी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है।
- यहां अमेरिका के सहयोग से पार्क इंटरप्रिटेशन योजना चल
रही है ।
- यहां पर वन्य प्राणी संबंधी प्रशिक्षण तथा हवाई पट्टी की भी
व्यवस्था की गई है ।
- इस उद्यान में चीतल , बारहसिंगा ( ब्रेडरी दुर्लभ प्रजाति ) ,
नीलगाय , सांभर , आदि वन्य जीव पाए जाते हैं ।
- प्रदेश के सर्वाधिक बाघ भी इसी राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाते
है ।
- प्रदेश का पहला टाइगर रिजर्व जिसने अपना मैस्काट ( शुभंकर ) जारी किया है । शुभंकर का नाम भूरसिंह द बरासिंगा है ।
इस राष्ट्रीय उद्यान में बैगा महिलाएं गाइड़ का काम करती हैं ।
सूर्यास्त प्वाइंट बमनी दादर इस राष्ट्रीय उद्यान का सबसे खूबसूरत स्थान है । यहां का मनमोहक सूर्यास्त बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेता है ।
इस राष्ट्रीय उद्यान में बंजर एवम सुपर्ण नदियां प्रवाहित होती है
2 - माधव राष्ट्रीय उद्यान ( शिवपुरी )
इस राष्ट्रीय की स्थापना 1958 में की गई है ।
इसका क्षेत्रफल 337 वर्ग किमी है।
यह राष्ट्रीय उद्यान NH -3 पर स्थित है।
जार्ज कैंसल भवन तथा सांख्य राजे सागर झील इसी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है।
यह राष्ट्रीय उद्यान वनीय सघनता एवं पक्की सड़कों के लिए जाना जाता है ।
इस राष्ट्रीय उद्यान में मनिहार नदी बहती है ।
संख्या सागर झील मगर सफारी के लिए प्रसिद्ध है ।
3- बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान ( उमरिया ) -
इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1968 में को गई थी ।
इसका क्षेत्रफल 437 वर्ग किमी है ।
यह राष्ट्रीय उद्यान 32 पहाड़ियों से घिरा हुआ है ।
इस राष्ट्रीय उद्यान में सर्वाधिक बाघ घनत्व है । यहां प्रत्येक 8 km में एक बाघ पाया जाता है ।
इस राष्ट्रीय उद्यान को 1993 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया।
इस राष्ट्रीय उद्यान की प्रमुख नदी चरणगंगा है ।
4 - पन्ना राष्ट्रीय उद्यान ( पन्ना , छतरपुर ) -
इसे 1981 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्रदान किया गया ।
इसका क्षेत्रफल 543 वर्ग किमी है ।
रेप्टाइल पार्क इसी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है ।
इस राष्ट्रीय उद्यान में जंगली भैसो की संख्या अधिक है ।
इसे 1994-95 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया।
केन - बेतवा लिंक परियोजना द्वारा करीब 30 km का क्षेत्र डूब गया है ।
5 - सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान ( होशंगाबाद ) -
इसे 1981 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्रदान किया गया ।
इसका क्षेत्रफल 524 वर्ग किमी है ।
इस राष्ट्रीय उद्यान को 1999-2000 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया है ।
मढ़ई पर्यटन स्थल सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान के अन्तर्गत आता है ।
6- संजय ( डूबरी ) राष्ट्रीय उद्यान ( सीधी ) -
इसे 1981 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया ।
इसका क्षेत्रफल 467 .7 वर्ग किमी है । छत्तीसगढ़ से विभाजन से पूर्व इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 1938 किमी था । छत्तीसगढ़ में यह घासीराम राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता है ।
इसे 2008 में प्रोजेक्ट टाइगर के अन्तर्गत शामिल किया गया
यह मध्यप्रदेश में सीधी और सिंगरौली जिले के अन्तर्गत आता है । तथा छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के अन्तर्गत आता है ।
7- पेंच राष्ट्रीय उद्यान ( सिवनी , छिदवाडा )
पेंच नदी इस राष्ट्रीय उद्यान से होते हुए बहती है , इसलिए इसका नाम पेंच राष्ट्रीय उद्यान रखा गया ।
इसकी स्थापना 1975 में की गई थी ।
यह मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है ।
इसका क्षेत्रफल 293 वर्ग किमी है।
इसका नया नाम इंदिरा प्रियदर्शनी राष्ट्रीय उद्यान है ।
इसे 1992-93 में टाइगर प्रोजेक्ट के अन्तर्गत शामिल किया गया ।
इस राष्ट्रीय उद्यान में कृष्नमृगो की संख्या सर्वाधिक है।
यह उद्यान विख्यात ब्रिटिश भारत के लेखक रुडयार्ड किपलिंग की प्रसिद्ध द जंगल बुक का कथा क्षेत्र रहा है ।
8- वन विहार राष्ट्रीय उद्यान ( झीलों की रमणीय स्थली भोपाल )-
इसकी स्थापना 1979 में की गई , जबकि राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा 1983 में प्रदान किया गया।
इसका क्षेत्रफल 4.45 वर्ग किमी है।
इस राष्ट्रीय उद्यान में सर्प उद्यान की स्थापना की गई है।
इस राष्ट्रीय उद्यान को आधुनिक चिड़ियाघर के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।
यह ISO 9001:2008 अवॉर्ड पाने वाला देश का पहला राष्ट्रीय उद्यान है ।
वन्य प्राणियों को गोद लेने की प्रथा इसी राष्ट्रीय उद्यान से प्रारंभ की गई है ।
यह एकमात्र ऐसा राष्ट्रीय है , जो शहर के मध्य स्थित है ।
9-जीवाश्म / फॉसिल / घुघवा राष्ट्रीय उद्यान ( डिंडोरी , शाहपुरा तहसील ) -
इसे 1983 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्रदान किया गया ।
इसका क्षेत्रफल 0.27 वर्ग किमी है।
यह राष्ट्रीय उद्यान भारत के 04 जीवाश्म उद्यानों में से एक है ।
जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान में पौधों , फलों , पत्तो, बीजों , मछलियों , नारियल , सुपाड़ी , के जीवाश्म संरक्षित किए गए हैं ।
10 - डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान ( धार ) -
यहां पर डायनासोर के जीवाश्म को संरक्षित किया गया है ।
इसकी स्थापना 2010 में तथा 2011 में जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया ।
11- कूनो पालपुर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान ( श्योपुर ) -
1981 से 2018 तक अभ्यारण रहा ।
मध्यप्रदेश शासन के राजपत्र में 14 दिसंबर 2018 को जारी अधिसूचना के अनुसार कूनोपालपुर अभ्यारण को कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में परिवर्तित कर दिया गया ।
इस राष्ट्रीय उद्यान में कूनो नदी के बहने के कारण इसका नाम कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान रखा गया है।
यहां एशिया शेरो के साथ अफ्रीकन चीता बसाने की योजना है ।
इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 784.76 km है ।
इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल अभ्यारण के समय 344.686 वर्ग किमी था ।
12- ओंकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान ( खण्डवा ) -
यह अभी प्रस्तावित है 2004 से ।
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