महालवाड़ी व्यवस्था क्या थी समझाइये | महालवाड़ी व्यवस्था| mahalvadi vyavastha |
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इस व्यवस्था में गाँव की भूमि सम्मिलित ग्राम सभा की मानी जाती थी अर्थात् भूमि पर गाँव का सामुदायिक अधिकार माना गया।
महालवाड़ी में गाँव के सदस्य अलग-अलग या फिर संयुक्त रूप से लगान की अदायगी कर सकते थे। लगान एकत्र करने के लिए पूरा महाल सामूहिक रूप से उत्तरदायी होता था ।
[1819 में हाल्ट मैकेंजी ने इस व्यवस्था का प्रस्ताव रखा। इसमें लगान दर परिवर्तनशील रही। यह 10-20 वर्षो के लिए अपनाया गया।ब्रिटिश भारत के 30% भू क्षेत्र पर यह लागू की गई जिसमें पंजाब, मध्यप्रांत, पश्चिम उत्तर प्रदेश व पश्मिोत्तर प्रांत तथा राजपूताना शामिल थे।
बैंटिक के समय मार्टिन बर्ड द्वारा मानचित्र एवं पंजियों का उपयोग किया गया तथा भिन्न-भिन्न भूमि के लिए अलग-अलग औसत किराया 66% नियत किया गया। (मार्टिन बर्ड) उत्तर भारत में 'भूमि बन्दोबस्त का पिता' कहा गया।
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