एलीफैण्टा गुफा | elephanta gufa |

 एलीफैण्टा गुफा | elephanta gufa |


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एलीफैण्टा गुफा


चालुक्य स्थापत्य के नमूने एलीफैण्टा तथा जागेश्वरी से भी मिलते है। एलीफैण्टा मे चालुक्यों के सामन्त शिलाहार शासन करते थे। 9वीं शताब्दी के प्रारम्भ में यहां सुन्दर गुहायें उत्कीर्ण की गयी। मुख्य गुफा में एक विशाल मण्डप है जिसके चतुर्दिक प्रदक्षिणापथ है। वर्गाकार गर्भगृह में विशाल शिवलिंग स्थापित है। चबूतरे से गर्भगृह में जाने के लिये सीढ़ियां बनाई गयी है।


गर्भगृह के चारों ओर निर्मित देव प्रकोष्ठों में शिव के विविध रूपों की मूर्तियां बनी है। इनमें सर्वाधिक सुन्दर महेश मूर्ति भारतीय कला की धरोहर है। यहां की गुफा में शिव, ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य, इन्द्र | यम, गणेश स्कन्द की मूर्तियां बनाई गयी है। शिव के विविध रूपों एवं लीलाओ से | संबंधित मूर्तियां काफी अच्छी है। उत्तरी द्वार के सामने प्रसिद्ध त्रिमूर्ति है जो समस्त राष्ट्रकूट कला की सर्वोत्तम रचना है। पहले ऐसा समझा गया था कि यह ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव की संयुक्त प्रतिमा है जिनकी गणना त्रिदेव में की जाती है।


जे० एन० बनर्जी ने इस अवधारणा का खण्डन करते हुए मूर्ति का तादात्म्य शिव के 3 रूपों शान्त, उग्र, तथा शक्ति से करते हुए इसे महेश मूर्ति की संज्ञा दी है। बीच का मुख शिव के शान्त दायी ओर का मुख रौद तथा दायी ओर का मुख (नारी मुख है) शक्ति रूप का प्रतीक है।



 
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