MP ki nadighati pariyojanayen | मध्यप्रदेश की प्रमुख नदीघाटी परियोजनाएं
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आज हम आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक लेकर आए हैं जो मध्यप्रदेश के विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं MPPSC , MPSI , VYAPAM , POLICE CONSTABLE , PATWARI , Teachers exams आदि के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस पोस्ट मे आप जानेंगे मध्यप्रदेश के नदी घाटी परियोजनाएं (multipurpose river projects of madhya pradesh) के बारे में । इस टॉपिक से प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं। आप सभी नीचे दी गई जानकारी को कम से कम दो बार अवश्य पढ़ें जिससे आपको इन्हें याद करने में आसानी होगी।
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बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजनाएँ क्या हैं -
एक से अधिक उद्देश्यों को लेकर बनाई गई नदी घाटी परियोजना को बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना कहा जाता है। इन परियोजनाओं के अंतर्गत बड़ी-बड़ी नदियों पर बाँध बनाए जाते हैं। नदी घाटी परियोजनाएँ बृहत् उद्देश्यों में लगाई जाती हैं, जैसे सिंचाई, पेयजल, जल विद्युत, वन संरक्षण, भूमि संरक्षण, मत्स्य पालन, पर्यटन विकास, रोजगार के अवसरों का सृजन तथा नौका परिवहन उपर्युक्त उद्देश्यों के फलस्वरूप ही नदी-घाटी परियोजनाओं को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 'आधुनिक भारत का मंदिर' को संज्ञा दी थी।
मध्यप्रदेश की प्रमुख नदी घाटी परियोजनाएं -
• चंबल घाटी परियोजना -
• चंबल नदी पर स्थित यह परियोजना मध्य प्रदेश और राजस्थान की एक संयुक्त बहुउद्देश्यीय परियोजना है। इस परियोजना के अंतर्गत उन क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जहाँ वर्षा का औसत 60 से 75 सेमी. के मध्य है। इन क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य है। मध्य प्रदेश व राजस्थान की इस संयुक्त परियोजना का प्रारंभ वर्ष 1953-54 में किया गया।
• इसमें राणा प्रताप सागर बाँध (चितौड़गढ़), जवाहर सागर बाँध (कोटा) एवं गांधी सागर बाँध (नीमच-मंदसौर) प्रमुख है।
• चंबल नहर- यह नहर मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में प्रवेश करती है। इस नहर द्वारा ग्वालियर मुरैना भिंड श्योपुर जिलों की तहसीलों के लगभग 13,000 गाँवों को सिंचाई की जाती है।
• नर्मदा घाटी परियोजना -
• नर्मदा एक अंतर्राज्यीय नदी है, जिसके अपवाह क्षेत्र में मध्य प्रदेश के अलावा गुजरात, राजस्थान व महाराष्ट्र भी आते हैं। इन सभी राज्यों में नर्मदा के को लेकर विवाद बना रहा है। विवाद के लिये भारत सरकार ने 1969 में नर्मदा जल विवाद प्राधिकरण की स्थापना की, जिसने 1978-79 में अपना निर्णय दिया।
• नर्मदा घाटी परियोजना एक बहुउद्देश्यीय परियोजना है। गुजरात को सरदार सरोवर परियोजना भी नर्मदा घाटी परियोजना का ही एक भाग है। सरदार सरोवर बांध की ऊँचाई को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। इस बांध से प्रभावित होने वाले समूह ने मेधा पाटकर के नेतृत्व में आंदोलन जारी रखने के निर्देश दिये हैं।
• सरदार सरोवर परियोजना से नहरों में जल को निकासी को सुनिश्चित करने के लिये मध्य प्रदेश में महेश्वर तथा ओंकारेश्वर
परियोजनाओं को निर्माण की आवश्यकता है, जिसके लिये इंदिरा सागर योजना की शुरुआत की गई है।
• बुकर सम्मान से सम्मानित लेखिका अरुंधति राय ने नर्मदा बचाओ आंदोलन में भाग लिया तथा इस समस्या को राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।
• बारना नहर - बरना नदी, नर्मदा की सहायक नदियों में से एक है। इस नदी पर निर्मित किये गए बाँध से नहरें निकाली गई है , जिससे रायसेन एवं सीहोर जिले में भूमि की सिंचाई की जाती है।
• इंदिरा सागर परियोजना -
• इस परियोजना की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा डाली गई थी। यह परियोजना राज्य के खंडवा जिले
में स्थित पुनसा गाँव के समीप नर्मदा नदी पर निर्मित एक बहुउद्देश्यीय परियोजना है।
• इंदिरा सागर परियोजना नर्मदा घाटी विकास परियोजना की सबसे महत्वपूर्ण परियोजना है, क्योंकि इससे निकलने वाले जल से प्रदेश की तीन अन्य परियोजनाओं को लगातार जल आपूर्ति प्रदान करेगी, जिससे वह अपनो विद्युत सिंचाई के साधनों को प्राप्त कर सकेंगी ये तीन परियोजनाएँ इस प्रकार हैं- महेश्वर, ओंकारेश्वर एवं गुजरात की सरदार सरोवर परियोजना
• ओंकारेश्वर परियोजना -
• यह एक बहुउद्देश्यीय परियोजना है, जो मध्यप्रदेश के खंडवा , खरगौन और धार जिलों में नर्मदा नदी के दोनों तटों विद्युत् उत्पादन के साथ सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराएगी।
• ओंकारेश्वर परियोजना खंडवा जिले में मांधाता के समीप स्थित है। यह नर्मदा परियोजना के तहत प्रस्तावित परियोजनाओं में से एक है।
• केन-बेतवा लिंक परियोजना -
• वर्ष 1982 में मध्य प्रदेश में भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 'नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी' का गठन किया था। इसी एजेंसी ने नदी जोड़ो कार्यक्रम' अंतर्गत उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों के मध्य केन-बेतवा लिंक परियोजना की शुरुआत की गई।
•
• केन-बेतवा लिंक परियोजना के अंतर्गत केन से बेतवा में व्यपवर्तित जल के बदले समान मात्रा में जल के उपयोग से और छतरपुर जिले में प्रस्तावित दौधन बाँध से मध्य प्रदेश की 5 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकती है। केन नदी की संपूर्ण लंबाई लगभग 427 किलोमीटर है। यह नदी मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में क्रमश: 292 एवं 84 किमी. क्षेत्र में प्रवाहित होती है।
• इस नदी की 51 किलोमीटर की लंबाई मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मध्य सोमा निर्धारित करती है। बेतवा नदी की कुल लंबाई लगभग 590 किमी. है, जिनमें से 232 किमी. मध्य प्रदेश तथा 358 किमी. उत्तर प्रदेश में प्रवाहित होती है।
• इस परियोजना के अंतर्गत निर्मित नहर की लंबाई 218.695 किमी. है। इस नहर का लगभग 18 किमी, भाग उत्तर प्रदेश के हिस्से में आएगा तथा अन्य हिस्सा मध्य प्रदेश के अधीन होगा।
• हलाली नहर- बेतवा घाटी विकास योजना के तहत विदिशा जिले में स्थापित हलाली सिंचाई परियोजना के अंतर्गत एक नहर निकली गई है। हलाली नहर द्वारा विदिशा और रायसेन जिलों में सिंचाई होती है।
• तवा परियोजना -
• नर्मदा नदी की मुख्य सहायक नदियों में से एक तवा नदी है जो महादेव की पहाड़ियों से निकलती है। इसकी द्रोणी में औसत वर्षा 125-187 सेंटीमीटर के मध्य होती है। अत: इसमें जल की मात्रा अधिक होती है।
• होशंगाबाद जिले के ग्राम रानीपुर के समीपता नहीं पर लगभग 58 मी. ऊँचा बाँध बनाया गया है।
• तवा नहर - तवा बांध परियोजना के तहत होशंगाबाद जिले धेनवा और तवा नदियों के मिलन स्थल पर से दो नहरें गई है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 197 किमी. है।
• रानी अवंतिबाई सागर (बरगी) परियोजना -
• रानी अवंतिबाई सागर परियोजना, मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर स्थित एक बहुउद्देशीय परियोजना है। इसका मुख्य जबलपुर शहर से लगभग 45 किमी. की दूरी पर स्थित है।
• वर्ष 1971 में इस परियोजना की शुरुआत की गई। इस परियोजना में 100 मेगावाट की जल विद्युत उत्पादन क्षमता भी है।
• इस परियोजना से मुख्यत: जबलपुर एवं नरसिंहपुर जिले लाभान्वित होते हैं।
• पेंच परियोजना -
• यह परियोजना छिन्दवाड़ा जिले के ग्राम मंचगोरा के समीप पेंच नदी पर स्थित है। महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश की संयुक्त परियोजना है। इस परियोजना से मुख्यत एवं गनी पिले लागान्ति होते हैं ।
• इस परियोजना के अंतर्गत दो नहरे निकाली गई। दाई नहर की लंबाई 28.5 km तथा बाई नहर की लंबाई 20.91 km है।
• थावर परियोजना -
• थावर सिंचाई परियोजना मध्य प्रदेश के मंडला जिले में नैनपुर तहसील के पास स्थित है।
• इस परियोजना में गोरावरी द्रोणी की बैनगंगा नदी की सहायक नदी थावर पर बाँध बनाया गया है। जिसको लंबाई लगभग 990 मी. है।
• इस परियोजना के अंतर्गत एक नहर निकाली गई, जिसकी लंबाई लगभग 48 km है।
• उर्मिल परियोजना -
•उर्मिल परियोजना मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को एक अंतरराज्यीय परियोजना है।
• मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में भिरोटा गाँव के पास स्थित केन नदी की सहायक नदी उर्मिल नदी पर उर्मिल बाँध का निर्माण किया गया है।
•दो राज्यों के बीच हुए समझौते के अंतर्गत लगभग 20 प्रतिशत जल छतरपुर जिले के ऊपरी भाग के उपयोग के लिये रखा गया है तथा शेष जल 60-40 के अनुपात में क्रमश: मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मध्य बांटा जाएगा।
• नहरों का निर्माण प्रदेश सरकार द्वारा अपने खर्च पर कराया गया है।
• राजघाट परियोजना -
यह परियोजना मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश को अंतर्राज्यीय परियोजना है । इसे जल संसाधन मंत्रालय भारत सरकार के तहत स्थापित 'बेतवा नदी बोर्ड' के द्वारा मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले एवं उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में राजघाट बाँध बनाया गया है। इस बाँध पर निर्मित जलाशय का नाम 'रानी लक्ष्मीबाई' रखा गया है।
• भांडेर नहर परियोजना -
.• प्रथम पंचवर्षीय योजना के दौरान मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अंतर्राज्यीय परियोजना के रूप में भांडेर नहर परियोजना शुरू की गई थी।
•इस परियोजना की शुरुआत उत्तर प्रदेश में माताटीला परियोजना के अंतर्गत वर्ष 1954-55 में शुरू किया था।
• बाणसागर परियोजना -
• यह परियोजना मध्य प्रदेश, बिहार एवं उत्तर प्रदेश को संयुक्त परियोजना है।
• इस परियोजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश में 2.49 लाख हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 1.50 लाख हेक्टेयर तथा बिहार में 0.94 लाख हेक्टेयर भूमि की सिचाई की जाती है।
• इस परियोजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश में 425 गावाट क्षमता के जल विद्युत संयंत्र स्थापित किये गए हैं।
• कोलार परियोजना -
• यह परियोजना वर्ष 1978-79 के मध्य शुरू की गई। इस परियोजना का निर्माण नर्मदा की सहायक कोलार नदी पर किया जा रहा है। जो सीहोर जिले के लावाखेड़ी गाँव में स्थित है।
• नर्मदा क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना -
मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में जल संकट की समस्या के समाधान के लिये मध्य प्रदेश शासन द्वारा नर्मदा क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक' परियोजना की शुरुआत की गई। इसके द्वारा 115 किमी. दूरी तक क्षिप्रा नदी के जरिये महाकाल की नगरी उज्जैन में रामघाट तक ग्रेविटी के माध्यम से बहकर पानी पहुंचेगा। परियोजना की क्षमता 433 एमएलडी है। मालवा अंचल के लगभग 16 लाख एकड़ क्षेत्र में सिंचाई की अतिरिक्त अन्य सुविधाएँ उपलब्ध की जा सकेंगी।
• सरदार सरोवर परियोजना -
• सरदार सरोवर परियोजना भारत के बड़े जल संसाधन परियोजनाओं में से एक है। जिनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं।
•इस परियोजना की आधारशिला अप्रैल,1961 को रखी गई थी। तथा 2017 में इसका निर्माण कार्य पूरा हो गया ।
मध्यप्रदेश की अन्य छोटी नदी घाटी परियोजनाएं -
• अपर बैनगंगा (संजय सरोवर ) - बैनगंगा नदी पर स्थित , इससे बालाघाट और सिवनी जिले लाभान्वित होते हैं।
• अपरवेदा - वेदा नदी , खरगौन जिला ।
• चोरल परियोजना - चोरल नदी , इंदौर का महू ।
• सिंहपुर बैराज - उर्मिल नदी , छतरपुर ।
• रनगवां परियोजना - केन की सहायक नदी पर ,छतरपुर जिला।
• हालोन परियोजना - हालोन नदी, मंडला जिला।
• सुक्ता परियोजना - खंडवा जिला।
महत्त्वपूर्ण तथ्य -
• सरदार सरोवर परियोजना मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान एवं महाराष्ट्र को अंतर्राज्यीय बहुद्देश्यीय परियोजना है। यह नर्मदा नदी पर स्थित है।
• मध्य प्रदेश की सबसे लंबी नदी नर्मदा है। इसे 'जीवन रेखा' एवं 'प्रदेश की गंगा' भी कहा जाता है। नर्मदा के अन्य नाम रेवा,मैकल सुता, सोमो देवी एवं नामादोस भी हैं।
• नर्मदा नदी अबलपुर के निकट भेटघाट पर धुआँधार जलप्रताप का निर्माण करती है।
• नर्मदा नदी देश की पांचवीं सबसे बड़ी नदी है।
• राज्य में अत्यधिक भूमिगत जल का दोहन इंदौर, उज्जैन मंदसौर, शाजापुर और रतलाम जिलों में होता है। इसी कारण
इन पाँच जिलों को काला तिला गा सूखा जिला कहा जाता है।
• प्राचीन काल में चंबल नदी को धर्मावती (धर्मावती/चर्मावती ) के नाम से जाना जाता था।
• चंबल नदी मध्य प्रदेश एवं राजस्थान की सीमा निर्धारित करती है।
• रीवा जिले में बीहड़ नदी पर चचाई जलप्रपात प्रदेश का सबसे ऊँचा जलप्रपात है।
• राज्य की प्रथम विद्युत परियोजना गांधी सागर बाँध चंबल नदी पर मंदसौर में बनाई गई थी।
• ताप्ती नदी का उद्गम बैतूल जिले के मुल्ताई नगर के समीप से होता है तथा यह नदी गुजरात में सूरत के निकट खंभात की खाड़ी में गिरती है।
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